Black Sea Grain Deal क्या है रूस का काला सागर अनाज समझौता जिससे पुतिन हट पीछे हट गए है। इस समझौते से दुनिया के कई हिस्सों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। UN ने दावा किया है कि पुतिन (vladimir putin) के इस फैसले के बाद संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी (Starvation) पैदा कर सकती है और इससे भी बदतर स्थिति का खतरा पैदा हो सकता है।
Russia Black Sea Grain Deal: काला सागर में अब 'अनाज युद्ध' शुरू! खाद्यान्न संकट की जद में दुनिया
HIGHLIGHTSरूस के इस फैसले से दुनिया में एक बार फिर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है
यूक्रेन गेहूं और मक्का जैसे दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान्न निर्यातकों में से एक है
रूस का दावा है कि समझौते के तहत उससे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Black Sea Grain Deal: दुनिया में एक बार फिर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है और इसका बड़ा कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है। काला सागर समझौते को खत्म करने के बाद दुनिया के कई हिस्सों में लोग अनाज के लिए तरसेंगे।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मध्यस्थता वाले इस समझौते की वजह से ही युद्ध के बीच भी यूक्रेन काला सागर के जरिए अनाज का निर्यात कर पा रहा था। यूक्रेन से निर्यात किया जाने वाला ये अनाज दुनियाभर में भुख से जुझ रहे लोगों के लिए बड़ी मदद था। ऐसे में रूस के इस फैसले ने UN समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है।
काला सागर अनाज समझौता क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है और रूस इससे क्यों हट गया है? आइये समझते हैं..
'काला सागर अनाज समझौता'
यूक्रेन गेहूं और मक्का जैसे दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान्न निर्यातकों में से एक है। रूस के आक्रमण करने के बाद यूक्रेन के बंदरगाह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल आ गया। इससे दुनिया के गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा की आशंका बढ़ गई। पाकिस्तान और अन्य देशों में गेहूं की कीमतें संकट के स्तर तक पहुंच गई। वैश्विक खाद्य संकट को देखते हुए तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर जुलाई 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर अनाज समझौता कराया।
रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से यूक्रेनी बंदरगाहों पर सभी कार्य ठप पड़ गई थी, जिसके असर से दुनियाभर से कई देशों में खाद्यान्न की किल्लत होने लगी थी। इससे अनाज की कीमतें भी बढ़ गई थी। इसी को देखते हुए दो देशों के बीच काला सागर समझौता कराया गया, जिसके तहत अनाज ले जाने वाले जहाजों को सुरक्षित ले जाना था।
इन तीन बंदरगाहों से जहाजों को दिया गया सुरक्षित रास्ता
इस समझौते में तीन यूक्रेनी बंदरगाहों ओडेसा, चोर्नोमोर्स्क और पिवडेनी (युजनी) से मालवाहक जहाजों को सुरक्षित रास्ता दिया गया। यह सुरक्षित मार्ग 310 समुद्री मील लंबा और तीन समुद्री मील चौड़ा था। इस समझौते के कारण जाने वाले मालवाहक जहाजों पर युद्ध के दौरान कई क्षति नहीं पहंचाई जाएगी। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते के तहत यूक्रेन द्वारा लगभग 32 मिलियन टन ज्यादातर मक्का और गेहूं का निर्यात किया गया है।
रूस इस डील को आगे बढ़ाने में क्यों नहीं हुआ सहमत?रूस का दावा है कि समझौते के तहत उससे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए।
पश्चिम द्वारा उस पर लगाए गए कई प्रतिबंधों के कारण उसे अभी भी अपने कृषि उत्पादों और उर्वरकों के निर्यात में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रूस का कहना है कि इस प्रतिबंध से उसके निर्यात में बाधा आ रही हैं
पुतिन की ये थी चार मांगेंरूसी उर्वरक कंपनियों के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाना
समुद्री बीमा पर प्रतिबंध, अमोनिया निर्यात को फिर से शुरू करना
भुगतान, रसद और शिपिंग बीमा पर पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत
कृषि बैंक रोसेल खोज को स्विफ्ट अंतर्राष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क से फिर से जोड़ना
रूस का दावा, यूक्रेन केवल इन देशों को कर रहा अनाज निर्यात
रूस ने यह भी दावा किया है कि वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद के लिए अनाज सौदे पर सहमत हुआ था, लेकिन यूक्रेन तब से मुख्य रूप से उच्च और मध्यम आय वाले देशों को ही अनाज निर्यात कर रहा था। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस समझौते से खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से गरीब देशों को मदद मिली है।
रॉयटर्स के अनुसार, यूरोपीय संघ (EU) अब अनाज और उर्वरक लेनदेन की अनुमति देने के लिए रूसी कृषि बैंक (रॉसेलखोजबैंक) की एक सहायक कंपनी को सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस (स्विफ्ट) से जोड़ने पर विचार कर रहा है।
इस समझौते से किन देशों पर पड़ेगा असर?
UN के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 3 करोड़ 20 लाख टन खाद्य सामग्री का तीन महाद्वीपों में 45 देशों के लिए निर्यात किया गया है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने अफगानिस्तान, इथियोपिया, केनया, सोमालिया, सूडान और यमन में जरूरतमन्द लोगों के लिए गेहूं भेजा।
चीन को सबसे ज्यादा किया गया अनाज निर्यात
2021 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की कुल अनाज खरीद का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यूक्रेन से ही आया। स्टेटिस्टा अनुसंधान विभाग के मुताबिक, 3 अगस्त 2022 से 17 जुलाई 2023 तक यूक्रेन से अनाज का निर्यात इन देशों में सबसे ज्यादा किया।चीन, 8 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
स्पेन, 6 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
तुर्किये, 3.2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
इटली, 2.1 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
नीदरलैंड, 2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
मिस्र, 1.6 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
भारत, 0.59 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
Russia Black Sea Grain Deal: काला सागर में अब 'अनाज युद्ध' शुरू! खाद्यान्न संकट की जद में दुनिया
HIGHLIGHTSरूस के इस फैसले से दुनिया में एक बार फिर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है
यूक्रेन गेहूं और मक्का जैसे दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान्न निर्यातकों में से एक है
रूस का दावा है कि समझौते के तहत उससे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Black Sea Grain Deal: दुनिया में एक बार फिर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है और इसका बड़ा कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है। काला सागर समझौते को खत्म करने के बाद दुनिया के कई हिस्सों में लोग अनाज के लिए तरसेंगे।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मध्यस्थता वाले इस समझौते की वजह से ही युद्ध के बीच भी यूक्रेन काला सागर के जरिए अनाज का निर्यात कर पा रहा था। यूक्रेन से निर्यात किया जाने वाला ये अनाज दुनियाभर में भुख से जुझ रहे लोगों के लिए बड़ी मदद था। ऐसे में रूस के इस फैसले ने UN समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है।
काला सागर अनाज समझौता क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है और रूस इससे क्यों हट गया है? आइये समझते हैं..
'काला सागर अनाज समझौता'
यूक्रेन गेहूं और मक्का जैसे दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान्न निर्यातकों में से एक है। रूस के आक्रमण करने के बाद यूक्रेन के बंदरगाह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल आ गया। इससे दुनिया के गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा की आशंका बढ़ गई। पाकिस्तान और अन्य देशों में गेहूं की कीमतें संकट के स्तर तक पहुंच गई। वैश्विक खाद्य संकट को देखते हुए तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर जुलाई 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर अनाज समझौता कराया।
रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से यूक्रेनी बंदरगाहों पर सभी कार्य ठप पड़ गई थी, जिसके असर से दुनियाभर से कई देशों में खाद्यान्न की किल्लत होने लगी थी। इससे अनाज की कीमतें भी बढ़ गई थी। इसी को देखते हुए दो देशों के बीच काला सागर समझौता कराया गया, जिसके तहत अनाज ले जाने वाले जहाजों को सुरक्षित ले जाना था।
इन तीन बंदरगाहों से जहाजों को दिया गया सुरक्षित रास्ता
इस समझौते में तीन यूक्रेनी बंदरगाहों ओडेसा, चोर्नोमोर्स्क और पिवडेनी (युजनी) से मालवाहक जहाजों को सुरक्षित रास्ता दिया गया। यह सुरक्षित मार्ग 310 समुद्री मील लंबा और तीन समुद्री मील चौड़ा था। इस समझौते के कारण जाने वाले मालवाहक जहाजों पर युद्ध के दौरान कई क्षति नहीं पहंचाई जाएगी। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते के तहत यूक्रेन द्वारा लगभग 32 मिलियन टन ज्यादातर मक्का और गेहूं का निर्यात किया गया है।
रूस इस डील को आगे बढ़ाने में क्यों नहीं हुआ सहमत?रूस का दावा है कि समझौते के तहत उससे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए।
पश्चिम द्वारा उस पर लगाए गए कई प्रतिबंधों के कारण उसे अभी भी अपने कृषि उत्पादों और उर्वरकों के निर्यात में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रूस का कहना है कि इस प्रतिबंध से उसके निर्यात में बाधा आ रही हैं
पुतिन की ये थी चार मांगेंरूसी उर्वरक कंपनियों के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाना
समुद्री बीमा पर प्रतिबंध, अमोनिया निर्यात को फिर से शुरू करना
भुगतान, रसद और शिपिंग बीमा पर पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत
कृषि बैंक रोसेल खोज को स्विफ्ट अंतर्राष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क से फिर से जोड़ना
रूस का दावा, यूक्रेन केवल इन देशों को कर रहा अनाज निर्यात
रूस ने यह भी दावा किया है कि वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद के लिए अनाज सौदे पर सहमत हुआ था, लेकिन यूक्रेन तब से मुख्य रूप से उच्च और मध्यम आय वाले देशों को ही अनाज निर्यात कर रहा था। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस समझौते से खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से गरीब देशों को मदद मिली है।
रॉयटर्स के अनुसार, यूरोपीय संघ (EU) अब अनाज और उर्वरक लेनदेन की अनुमति देने के लिए रूसी कृषि बैंक (रॉसेलखोजबैंक) की एक सहायक कंपनी को सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस (स्विफ्ट) से जोड़ने पर विचार कर रहा है।
इस समझौते से किन देशों पर पड़ेगा असर?
UN के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 3 करोड़ 20 लाख टन खाद्य सामग्री का तीन महाद्वीपों में 45 देशों के लिए निर्यात किया गया है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने अफगानिस्तान, इथियोपिया, केनया, सोमालिया, सूडान और यमन में जरूरतमन्द लोगों के लिए गेहूं भेजा।
चीन को सबसे ज्यादा किया गया अनाज निर्यात
2021 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की कुल अनाज खरीद का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यूक्रेन से ही आया। स्टेटिस्टा अनुसंधान विभाग के मुताबिक, 3 अगस्त 2022 से 17 जुलाई 2023 तक यूक्रेन से अनाज का निर्यात इन देशों में सबसे ज्यादा किया।चीन, 8 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
स्पेन, 6 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
तुर्किये, 3.2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
इटली, 2.1 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
नीदरलैंड, 2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
मिस्र, 1.6 मिलियन मीट्रिक टन अनाज
भारत, 0.59 मिलियन मीट्रिक टन अनाज