धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन-स्थलों के विकास कार्य शीघ्र पूर्ण करें: मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में पर्यटन परियोजनाओं और पर्यटन विकास से जुड़े कार्यों को तेजी से पूरा किया जाये। इससे प्रदेश की ब्रांडिंग और पर्यटन स्थलों के निकट व्यवसायिक गतिविधियों से लाभ का उद्देश्य प्राप्त करना आसान होगा। प्रदेश में धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व के स्थलों के विकास के कार्य शीघ्रता से पूर्ण किये जाये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज समत्व भवन में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के संचालक मंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए पर्यटन विकास कार्यों की विस्तार से जानकारी प्राप्त की। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में जानकारी दी गई कि भीमबैठका में रॉक आर्ट पार्क, पन्ना में डायमंड म्यूजियम, शिवपुरी में तात्या टोपे म्यूजियम के कार्य प्रगति पर हैं। भोपाल के मोती महल में राजाभोज म्यूजियम का निर्माण भी प्रस्तावित है। इसके लिए भारत सरकार से 15 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। ग्वालियर के मोती महल में म्यूजिक ऑफ म्यूजियम बनाने के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया गया है। ओंकारेश्वर, भोजपुर और सलकनपुर में रोप-वे के लिए भी पीपीपी मोड में परियोजना तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापना सहित क्षेत्र के विकास, चित्रकूट में राम वन गमन पथ, जाम सांवली में श्री हनुमान लोक के विकास के कार्यों की पूर्णता के लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाये। साथ ही सीहोर जिले में सलकनपुर स्थित माता विजयासन मंदिर परिसर विकास परियोजना, ओरछा में रामराजा लोक, मुरैना जिले में शनिचरा मंदिर और दतिया में पीताम्बरा पीठ परिसर के विकास के लिए भारत सरकार से "प्रशाद" योजना में आवश्यक स्वीकृति लेने की कार्यवाही पूरी की जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रूरल होम स्टे पर्यटन और जिलों में जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की गतिविधियों की जानकारी ली। बताया गया कि प्रदेश में 226 इकाइयां होम स्टे योजना में पंजीकृत हैं, इसके लिए पोर्टल भी प्रारंभ किया गया है। आईएचएम भोपाल में 200 होम स्टे संचालकों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। होम स्टे के निर्माण के लिए हितग्राहियों को 76 लाख रुपए की प्रथम किस्त की राशि दी गई है। इस क्षेत्र में प्रदेश के 117 ग्रामों में 28 सहयोगी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं। पर्यटन स्थलों पर दिव्यांग लोगों के सुगम आवागमन के लिए हमसफर परियोजना प्रारंभ की गई है। ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल करने की प्रक्रिया भारत सरकार के स्तर पर पूरी की जा रही है। मांडू, भेड़ाघाट-लम्हेटा घाट जबलपुर और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (नेचुरल केटेगरी) को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए नामिनेशन डोजियर बनाये जा रहे हैं। ग्वालियर को म्यूजिक सेक्टर के लिए यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। विरासत स्थल मांडू को विशेष पहचान दिलवाने के लिए मांडू उत्सव में साहसिक पर्यटन के अंतर्गत थल और वायु क्रीड़ाओं से पर्यटकों को जोड़ा गया है। गांधी सागर में फ्लोटिंग फेस्टिवल किया गया है। मलेशिया और भूटान के दलों ने प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया। विदेश मंत्रालय से चयनित 40 प्रतिभागी प्रदेश का दस दिवसीय भ्रमण नो इंडिया प्रोग्राम (kip) में कर चुके हैं। चंदेरी में सितम्बर माह और कूनो में अक्टूबर माह में उत्सव प्रस्तावित हैं।
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला का प्रजेंटेशन
बैठक में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने प्रजेंटेशन में पर्यटन विकास गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हेरिटेज परिसम्पत्तियों के निवर्तन के अंतर्गत महेंद्र भवन पन्ना, सिंहपुर पैलेस चंदेरी, क्योटी फोर्ट रीवा, राजगढ़ पैलेस दतिया और राजनगर की गढ़ी छतरपुर का निवर्तन कर निवेशकों से निष्पादन की प्रक्रिया चल रही है। इससे करीब 35 करोड़ रुपए के नए पूंजी निवेश और लगभग 525 स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकेगा। साहसिक एवं जल पर्यटन के क्षेत्र में उज्जैन और इंदौर में गतिविधियां हो रही हैं। मढ़ई- तवा साइक्लिंग इवेंट भी युवाओं को जोड़ने में सफल रहा है। पचमढ़ी में मई माह में प्रदेश के एडवेंचर एवं वॉटर स्पोर्टस आपरेटर्स की वर्कशाप की गई, जिससे नवीन एडवेंचर उत्पाद विकसित करने का उद्देश्य पूरा होगा।
प्रदेश में गत वित्त वर्ष में 108 फिल्म परियोजनाओं में फिल्मांकन के लिए मंजूरी दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 68 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में मध्यप्रदेश को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया। प्रदेश में महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन स्थल परियोजना में 50 पर्यटन स्थलों पर गतिविधियां हुई हैं। पन्द्रह हजार से अधिक छात्राओं और युवतियों को आत्म रक्षा का और ढाई हजार से अधिक महिलाओं को पर्यटन एवं सत्कार प्रशिक्षण दिया गया। उन्मुखीकरण के लिए 189 कार्यशालाएँ हुईं। जनजातीय पर्यटन परियोजना में 50 ग्राम चुने गए हैं।