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भाई साहब! ये है यूपी के सरकारी अस्पतालों की सच्चाई, आज सामने आ गया सबकुछ; गरीबी का बनाया जा रहा मजाक

भाई साहब! ये है यूपी के सरकारी अस्पतालों की सच्चाई, आज सामने आ गया सबकुछ; गरीबी का बनाया जा रहा मजाक

मुरादाबाद का जिला अस्पताल यूपी के सरकारी अस्पतालों की सच्चाई दिखाता है। यहां अल्ट्रासाउंड के लिए एक सप्ताह की तारीख मिलती है। किसी ने अगर पूछ लिया कि भाई मरीज के पेट दर्द तो आज हो रहा है। आज ही अल्ट्रसाउंड होना तो उसे जवाब मिलता है कि इस तारीख में अल्ट्रसाउंड कराना है तो ठीक है। नहीं तो प्राइवेट रेडियोलाजी सेंटर में चले जाओ।

अल्ट्रासाउंड ... पेट दर्द, आंतों में परेशानी, पेशाब की थैली की जांच के लिए चिकित्सक लिखते हैं। उसी दिन अल्ट्रसाउंड होना जरूरी होता है। जिससे चिकित्सक अल्ट्रासाउंड देखने के बाद मरीज का उपचार कर सकें। हमारे जिला अस्पताल में इन दिनों हालात यह हैं कि अगर कोई मरीज अल्ट्रसाउंड का पर्चा लेकर पहुंच गया तो समझो उसे पांच से सात दिन बाद की तारीख मिल जाएगी।
किसी ने अगर पूछ लिया कि भाई मरीज के पेट दर्द तो आज हो रहा है। आज ही अल्ट्रसाउंड होना तो उसे जवाब मिलता है कि इस तारीख में अल्ट्रसाउंड कराना है तो ठीक है। नहीं तो प्राइवेट रेडियोलाजी सेंटर में चले जाओ। वहां उसी समय हो जाएगा। यहां जैसी व्यवस्था है। उसी के हिसाब से काम किया जाएगा। दिनभर में 10 से 15 अल्ट्रसाउंड हो रहे हैं। बाकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। प्राइवेट में 1200-1600 रुपये तक अल्ट्रसाउंड के रुपये लिए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति के सामने बड़ी परेशानी है।

1200 रुपये में कराया अल्ट्रासाउंड

दौलतबाग के रहने वाले मुहम्मद तंजीम अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे थे। पेट दर्द होने की वजह से चिकित्सक ने उन्हें अल्ट्रासाउंड लिखा। वह रेडियोलाजी विभाग में पहुंचे। पर्चा दिखाया तो कर्मचारी ने पर्चा नंबर नोट करने के बाद उन्हें तीन जुलाई की पर्ची थमा दी। उन्होंने कहा कि पेट दर्द हो रहा है। पता नहीं क्या समस्या होगी। इसलिए अल्ट्रसाउंड तो आज ही कराना था। कर्मचारी ने तारीख पर आने के लिए कह दिया। इसके बाद उन्होंने प्राइवेट में 1200 रुपये खर्च करके अल्ट्रसाउंड कराया।

लाइनपार के गायत्री नगर के रहने वाले दिलीप कुमार अपनी 65 वर्षीय माता जी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने सर्जन से परीक्षण कराया तो उन्होंने दर्द की वजह जानने के लिए एब्डोमन का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कहा। अस्पताल के पर्चे पर अल्ट्रसाउंड लिख दिया। इसके बाद वह रेडियोलाजी विभाग में पहुंचे थे। यहां कर्मचारी ने पर्चा देखने के बाद उन्हें भी एक जुलाई की तारीख दे दी। वह भी अपनी माता की परेशानी देख प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड करा लाए। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड इतनी दिन बाद होगा तो मर्ज बढ़ जाएगा।

डिजिटल एक्सरे का स्मार्ट फोन से फोटो हो रहा क्लिक

जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे को लेकर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक्सरे की फिल्म के बजाय स्मार्ट फोन में ही फोटो क्लिक करा दी जा रही है। जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं होता है। उन्हें फिल्म शीट दे दी जाती है। प्रबंधन का दावा है कि कंप्यूटर पर फोटो क्लिक होने के बाद चिकित्सक समझ लेते हैं। नार्मल एक्सरे होने पर मरीज शीट को कूड़ेदान में फेंक कर चले जाते हैं।
हार्मोन जांच की मशीन माह में दो बार हो रही खराब

जिला अस्पताल में हार्मोनल जांच की मशीन 2017 माडल की है। इस मशीन की क्षमता भी कम है। दो से तीन घंटे ही मशीन को चलाने के लिए इंजीनियर बता गए हैं। इस वजह से माह में दो से तीन बार मशीन खराब हो जाती है। दावा किया जा रहा है कि अपडेट वर्जन हार्मोन एनालाइजर के लिए मांग की गई है। उम्मीद है जल्द दूसरा हार्मोन एनालाइजर जिला अस्पताल को मिल जाएगा।

यह बोले जिम्मेदार

हमारे यहां एक रेडियोलाजिस्ट हैं। उन्हें मेडिको लीगल, मीटिंग, सीटी स्कैन, अल्ट्रसाउंड और एक्सरे की रिपोर्ट भी प्रतिदिन बनानी होती हैं। अस्पताल में भर्ती मरीज, अर्जेट वाले मरीजों के अल्ट्रासाउंड उसी दिन हो जाते हैं। जिनको दो या तीन दिन रोका जा सकता है। उन्हें तारीख दे दी जाती है। तकनीशियन की भी तबीयत खराब है। इसके बाद भी दो-दो घंटे के लिए उन्हें बुलाया जा रहा है। प्रयास कर रहे हैं कि उनकी समस्या का समाधान हो। - डा. संगीता गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल

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